भले ही झूठ बोलनेवाले की अवग्या होती हो ,और सामाजिक मूल्यों में गौंड़ गिनी जाती हो,किंतु महा आश्चर्यम सा दीखता है, सतत झूठ बोलना ही उसका बल सा बन बैठता है।और उसे तनिक लज्जा भी नहीं आती।अपवाद सा यह उसका चरित्र उसे महान बना देता है, भले संख्यां की दृष्टि से कम ही क्यों न हो,उससे लाभान्वित व्यक्ति।